Wednesday, June 1, 2011

महाभारत की रीमेक तैयार, लेकिन अंत क्या होगा? आप बताएं...।


नितिन आर. उपाध्याय
कहते हैं महर्षि वेद व्यास अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं, यानी दुनिया के ऐसे आठ इतिहास पुरुषों में से एक जिन्हें कभी मृत नहीं माना गया, दुनिया के किसी कोने में वे आज भी जीवित हैं। आपको क्या लगता है वेद व्यास अगर जिंदा हैं तो आजकल क्या कर रहे होंगे? ये सवाल कुछ दिनों से मुझे भी परेशान कर रहा था। सो, मैंने इसका पता लगाने की चेष्टा की है। इस शोध में जो तथ्य सामने आए हैं वे थोड़े चौंकाने वाले हैं लेकिन हमारे देश के इन दिनों के हालातों से काफी मिलते जुलते हैं।
मैंने ये पाया कि महर्षि वेद व्यास इन दिनों महाभारत की रीमेक पर काम कर रहे हैं। जैसा हर रीमेक के साथ होता है कि वक्त और परिस्थितियों के अनुसार घटनाक्रमों और पात्रों की भूमिकाओं में परिवर्तन हो जाता है, वैसा ही कुछ चेंज करके महाभारत का नया वर्जन तैयार किया जा रहा है। नई कहानी यह है कि हस्तिनापुर (यानी आज की दिल्ली) में जब सत्ता कौन संभाले, का सवाल खड़ा हुआ तो सत्यवती ने अपने पुत्र की बजाय सिंहासन पर न बैठने का प्रण कर चुके भीष्म को जबरिया बैठा दिया, सिर्फ इस शर्त पर कि तुम्हें तो केवल मुहर का काम करना है, सत्ता तो हम चला ही लेंगे। राजदंड तो सत्यवती ने अपने हाथ में ही रखा।
भीष्म की साफ छवि का फायदा उठाकर कौरवों और उनकी मदद करने वाले समर्थकों ने फायदा उठाना शुरू किया। भीष्म सब देख रहे थे, शायद विरोध करने के लिए कभी होंठ हिलाए भी होंगे लेकिन सत्यवती के कहने पर उन्हें चुप रहना पड़ा। क्योंकि वे तो गद्दी पर प्रतिनिधि मात्र थे। सत्ता तो सत्यवती के हाथों में थी।  प्रजा जब भी सवाल पूछती तो भीष्म चुप्पी साध लेते, धीरे-धीरे खुद भी आटे में नमक की नीति पर आ गए। जनता त्राही-त्राही कर रही है, विद्रोह भी है, लेकिन कृष्ण अभी अवतार लेने से इंकार रह रहे हैं क्योंकि युधिष्ठिर सहित पांचों पांडवों में मतभेद हैं, वे साथ रहने को तैयार नहीं है।
अब बेचारे महर्षि व्यास की क्या गलती, ये तो पब्लिक डिमांड है। इसे एक्सपेरीमेंटल क्रिएटिविटी कहिए या फिर सृजन की मजबूरी। जिस देश में प्रधानमंत्री के लिए सत्ता चलाना जरूरी कम, मजबूरी ज्यादा हो, वहां आप साहित्यकारों से क्या उम्मीद कर सकते हैं? और महर्षि वेद व्यास तो कहीं दूर घने जंगलों, पहाड़ों की कंदराओं में बैठे हैं। अब वहां चेतन भगत या किसी और क्रिएटिव लेखक का साहित्य तो मिलने से रहा। जिसे पढ़कर कोई नई थीम की कहानी तैयार कर सके। फिर किसे पता कि वे किस जंगल में हैं, भारत में तो अब जंगल भी नहीं बचे हैं इतने घने कि वहां सुकून से रहा जा सके।
इस महाभारत में अर्जुन सबसे मजबूर पात्र है, उसे न तो द्रोपदी को पाने के लिए मछली की आंख भेदनी है और न ही पांचों भाइयों में बांटना है लेकिन त्रासदी ये है कि द्रोणाचार्य आजकल उसके साथ नहीं है, इसलिए उसकी आधी जिंदगी गल्र्स कॉलेज के चक्कर काटने में और किसी दफ्तर में इंटरव्यू के नंबर का इंतजार करने जा रही है। युधिष्ठिर किताबों से सूत्र रट रहे हैं और भीम किसी जिम में सिक्स पैक बनाने में लगे हैं। नकुल-सहदेव कहां है यह तो खुद कुंती को भी नहीं पता। शायद कृष्ण ये इंतजार कर रहे हैं कि ये पांचों भाई एक साथ जुटे तो फिर अवतार लेने के बारे में विचार किया जाए।
कहानी को इतना लिखने के बाद तो अब वेद व्यास भी कन्फ्यूज हैं कि आगे क्या करें? कृष्ण अवतार न लेने पर अड़े हैं और पांडवों की कोई परिस्थिति मेल नहीं खा रही जो वे एक हो जाएं। सत्यवती ने राज्य में घोषणा की है कि फैलते जा रहे भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए वे कटिबद्ध हैं, भ्रष्टों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी, नए नियम भी बनेंगे लेकिन राजपरिवार और उससे जुड़े लोगों को इस नए कानून से दूर रखा जाएगा। ताकि निष्कंटक राज्य चलाने में कोई परेशानी न हो।
प्रजा बेचारी हैरान-परेशान है, क्या करे। पांडवों के एकजुट होने का इंतजार करे या फिर कृष्ण के अवतार लेने का। या फिर खुद ही कोई कदम उठाए। आप क्या सोचते हैं? आपकी नजर में नई महाभारत का अंत वेद व्यास कहां करेंगे? जरूर बताइए। आपके जवाबों का इंतजार रहेगा मुझे भी और महर्षि व्यास को भी...।

2 comments:

  1. I think now, U will be leading the role of Vadvyas nd BABA Ramdav is leading the role of Krishna. Anna Hajare(Yuddhisthar), VHP(Arjuna), Bajarngdal(Bhim), Shivsena & RSS(Nakul& Sahdev).

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  2. I think now, U will be leading the role of Vadvyas nd BABA Ramdav is leading the role of Krishna. Anna Hajare(Yuddhisthar), VHP(Arjuna), Bajarngdal(Bhim), Shivsena & RSS(Nakul& Sahdev).

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