Tuesday, August 28, 2012

कौन कहता आज तुम सुंदर नहीं हो....

कौन कहता आज तुम सुंदर नहीं हो....

किसने कहा चेहरा उतरा सा है,
किसने कहा रंग भी फीका सा है,
कौन कहता हंसी फिकी सी है,
किसने कहा लटें भी उलझी सी हैं,
तुम किसी हाल में कमतर नहीं हो,
कौन कहता आज तुम सुंदर नहीं हो....


खुशियों के पीछे पागल जो है,
वो दुनिया विरह वेदना क्या जानें,
चेहरे पर जिसके बनावट की मुस्कान,
वो प्रेम में सिसकना क्या जानें,
किसी अप्सरा से आज तुम बेहतर कहीं हो,
कौन कहता आज तुम सुंदर नहीं हो.....


देखो विरह ने आज क्या सिंगार किया है,
आंखों को सूर्ख, चेहरे को बुझा सा रंग दिया है,
किस्मत से किसी को प्रेम की ये पीड़ा है मिलती,
किस्मत ने ही तुमको, मुझको ये तोहफा दिया है,
कोई विरहणी नहीं, आज तुम जैसे दुल्हन नई हो,
कौन कहता है आज तुम सुंदर नहीं हो.....