मेरी जुस्तजू को कोई समझ सका न कभी,
हर एक को बस आवारगी ही नज़र आई,
मेरी उदास आँखों में झांक कर देखा जो उसने तो,
कुछ अपनी, कुछ ज़माने की खता नज़र आई.....
हर एक को बस आवारगी ही नज़र आई,
मेरी उदास आँखों में झांक कर देखा जो उसने तो,
कुछ अपनी, कुछ ज़माने की खता नज़र आई.....