नितिन आर. उपाध्याय
ये सियाह रात कट जाएगी, थोड़ा और चलो,
आगे सहर भी आएगी, थोड़ा और चलो,
यूं बैठे रहने से कभी फासले कम नहीं होंगे,
मंजिल नजर आएगी, थोड़ा और चलो,
उदासियों के दरख्तों पर बहार भी आएगी,
इश्क की राहों पर थोड़ा और चलो,
किसी के दिल तक पहुंचना आसान नहीं है,
उसकी आंखों की गहराई में थोड़ा और चलो,
अश्कों की बारिश में भिगने लगोगे अभी,
यादों के मौसम में थोड़ा और चलो...
ये सियाह रात कट जाएगी, थोड़ा और चलो,
आगे सहर भी आएगी, थोड़ा और चलो,
यूं बैठे रहने से कभी फासले कम नहीं होंगे,
मंजिल नजर आएगी, थोड़ा और चलो,
उदासियों के दरख्तों पर बहार भी आएगी,
इश्क की राहों पर थोड़ा और चलो,
किसी के दिल तक पहुंचना आसान नहीं है,
उसकी आंखों की गहराई में थोड़ा और चलो,
अश्कों की बारिश में भिगने लगोगे अभी,
यादों के मौसम में थोड़ा और चलो...
Inspirational....
ReplyDeleteचरैवेति चरैवेति ..... शुभ
ReplyDelete