Thursday, March 7, 2013

पुरानी तस्वीर...



आज पुरानी डायरी से एक तस्वीर मिली,
कुछ धुंधली यादों के साथ,
कुछ गुजरी बातों के साथ,
कब सहेजा था ठीक से याद नहीं,
मगर तस्वीर अब भी नई सी थी,
सब के चेहरे खिले हुए थे,
रंग भी मुरझाए नहीं थे,
आंखें जैसे अभी बोल पड़ेंगी,
हंसी भी ऐसी मानो अभी फूट पड़ेगी,
तस्वीर में मौजूद हर शख्स जैसे,
ठहरा हुआ है वहीं अब तक,
जैसे कोई जिंदा रहे जहन में बरसों तक,
रिश्ते भले ही बदल चुके थे लेकिन,
तस्वीर अब भी वही थी,
वैसी ही मासूम, वैसी ही जिंदादिल,
जैसे तस्वीर में मौजूद मेरे दोस्त थे,
मगर अब की तस्वीर बदल चुकी है,
अब वो दोस्त कहां हैं?
अब तो जिम्मेदारियों से झुके कंधे हैं,
अब तो जिंदगी की अंधी दौड़ में,
सब के सब खो गए हैं कहीं,
जैसे सुबह हरी घास पर गिरी औस,
दोपहर की तेज धूप में गुम हो जाती है....

(सभी उन मित्रों को समर्पित, जो मेरे जीवन का अटूट हिस्सा रहे हैं।)

बकलम खुद...

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