Friday, November 9, 2012

उसकी डायरी के पन्ने.....


उसकी डायरी के पन्ने, जो मुड़े हुए हैं,
कुछ खूबसूरत लम्हें हैं जो जुड़े हुए हैं,


यादों के उजालदान से झांककर देखा तो,
तेरी तस्वीर बिखर गई, टुकड़े पड़े हुए हैं,


मेरी कोशिश ये है कि रिश्ता कायम रहे,
मगर वो हैं कि तोड़ने पे अड़े हुए हैं,


अरसे से जहां कोई आया नहीं, गुजरा नहीं,
हम तेरे इंतजार में उसी मोड़ पर खड़े हुए हैं,


वक्त के इशारों को जो समझे नहीं, वक्त रहते,
वो आज भी किसी खुदा के दर पर खड़े हुए हैं...

1 comment:

  1. "वक्त के इशारों को जो समझे नहीं, वक्त रहते
    वो आज भी किसी खुदा के दर पर खड़े हुए हैं"

    बहुत खूब

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