Saturday, February 5, 2011

मौसम-ए-इश्क है, जरा इंजाय कीजिए.....

लीजिए साहब मौसम-ए-इश्क फिर आ गया। लाल फूलों के पौधों को खाद-पानी पिलाया जा रहा है और केसरिया झंडे के डंडों को तेल। हमारे देश में विदेशी संत मरहूम वेलेंटाइन की याद को ऐसे ही ताजा किया जाता है। वेलेंटाइन की परंपरा हमारे देश में ऐसे ही जोश से निभाई जाती है जैसा माहौल  फिलहाल मिस्र में है। नौजवान पीढ़ी पूरे जोश से प्रेम की गंगा बहाने को तैयार है और एक धड़ा इस गंगा के पानी को पोंछा लेकर साफ करने को उतारू होगा।

हम तो बात कर रहे हैं प्रेम के उस महोत्सव की जिसका जितना समर्थन है उतना ही विरोध भी है। समर्थक और विरोधी दोनों ही अपने-अपने हिसाब से तैयारी में जुटे हैं। समर्थक नौजवानों ने थर्टी फस्र्ट की नाइट सेलिबे्रट करने के बाद कोई पार्टी नहीं की क्योंकि बचे हुए बजट से वेलेंटाइन गिफ्ट खरीदना है। रसूखदार दोस्तों की चापलूसी का दौर भी शुरू हो गया है क्योंकि गर्ल फ्रेंड को महंगा गिफ्ट देने के लिए फाइनेंस यहींं से मिलता है। कार्ड गैलेरी और गिफ्ट शॉप वाले भी हार्टशेप के गिफ्ट सजा रहे हैं। आखिर क्यों न हो, वेलेंटाइन-डे तो मदर्स-डे और टीचर्स-डे से बड़ा फेस्टिवल है।

पवित्र तारीख 14 फरवरी के लिए प्रेमियों की शेष तैयारियां भी जारी हैं। जीने-मरने की कसमें किस स्तर तक खानी है यह गिफ्ट देखकर तय किया जाएगा। अगला वेलेंटाइन किसके साथ मनाएं यह तभी डिसाइड होगा जब गिफ्ट की असली कीमत मार्केट से पता चल जाए। लड़के कस्में वादों की लिस्ट रट रहे हैं और लड़कियां रुठने-नखरे दिखाने के नए तरीकों पर काम कर रही हैं। सहेलियों में शर्त लगी है जिसका मुर्गा सबसे बड़ा और महंगा गिफ्ट देगा, वो सबको पार्टी देगी।

यह तो हुई समर्थकों की बातें, विरोधियों की तैयारी तो इससे भी आगे की है भाई साहब। उन्हें तो हर गतिविधि की जानकारी ऊपर तक भेजना है, वह भी मय सबूत। आठ दिन पहले से कुछ खबरनवीसों की खुशामद भी शुरू कर दी है। बड़े भैयाजी ने विरोध के कुछ नए तरीकों के लिए मीटिंग भी बुलाई है, सबको काम सौंप दिया गया है। कुछेक कार्ड गैलेरी वालों को एडवांस पैमेंट करके पिछले साल के बचे पुराने ग्रिटिंग कार्ड भी निकलवा लिए हैं ताकि वेलेंटाइन-डे के एक दिन पहले ही जाकर उनमें आग लगाई जा सके और प्रेम के प्रतीक वाले कार्ड की जलती तस्वीर को ऊपर तक भेज सकें। 

ये इंडिया है जनाब, यहां ऐसा ही होता है। खैर छोडि़ए इसे, आप बताइए आप कैसे इंजाय करेंगे इस मौसम-ए-इश्क को।

8 comments:

  1. ये इंडिया है जनाब, यहां ऐसा ही होता है.......

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  2. "जीने-मरने की कसमें किस स्तर तक खानी है यह गिफ्ट देखकर तय किया जाएगा। अगला वेलेंटाइन किसके साथ मनाएं यह तभी डिसाइड होगा जब गिफ्ट की असली कीमत मार्केट से पता चल जाए
    ....
    ये इंडिया है जनाब, यहां ऐसा ही होता है" समसामयिक - अच्छी पोस्ट

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  3. prem kisi khaas divas ka mohtaj nahi hota
    badhiya post
    aabhaar


    'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
    हर रविवार प्रातः 10 बजे

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  4. विदेशी अंधानुकरण को कोसने मात्र से कुछ नहीं होगा , अपने उत्सवों को इज्जत देना शुरू करें तो ही कुछ हो सकता है.

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  5. अच्छा तो ऐसा होता है यहाँ !

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  6. लेखन अपने आप में ऐतिहासिक रचनात्मक कायर् है। आशा है कि आप इसे लगातार आगे बढाने को समपिर्त रहें। शानदार पेशकश।

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
    सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित हिंदी पाक्षिक)एवं
    राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    0141-2222225 (सायं 7 सम 8 बजे)
    098285-02666

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  7. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  8. मौसमे इश्क का वास्तविक सच.
    हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित...
    http://najariya.blogspot.com/

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